शनिवार, 24 जुलाई 2021

संस्कृति श्लोक

 १-  त्वमेव माता च पिता त्वमेव,

  त्वमेव बन्धुश्च शखा त्वमेव।

  त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव,

   त्वमेव सर्वम् मम देव देवाः।।

२- गुरुः ब्रम्हा, गुरुः विष्णु, गुरुः देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।

३- मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लङ्घयते गिरिम्।

यत्र कृपा त्वमहं वन्दे परमानन्दं माधवम्।

४- नमस्ते शारदे देवी काश्मीर पुर वाशिनि।

त्वामहं प्रार्थये नित्यं विद्या बुद्धि च देहि मे।।

५- सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्।।

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा।

 श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा।

हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।

   हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

#🕉️श्रीकृष्णा 

#जयश्रीगुरुवेनमः 

#आजपूरातन

#वीरेंद्रद्विवेदी

#aajpuratan






शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

संसार के नियम क्या हैं?

संसार के नियम :
इस संसार के जो नियम हैं उसे शायद ही कोई अपना पाएगा क्योंकि इस संसार में न तो नियम का कोई पालन करता है और न ही उसे अपने जीवन में लाता है

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इस संसार की मया मोह  में मानव पड़कर उस ईश्वर को ही भूल गया जिसने उसे इस धरा पर लाया (माता पिता)

तो मानव उस भगवान को कैसे याद रखेगा जिसे उसने देखा ही नहीं है।

इसमें उसकी कोई भी भूल नजर नहीं आती ये तो सब कलयुग का प्रकोप है की मानव अपने परम पवित्र निःश्वार्थ निश्छल प्रेम से सराबोर माता पिता को भूल जाता है।

जब ब्रम्हांड की रचना हुई थी तब भगवान श्री शिवजी ने कहा था कि इस मृत्युलोक में स्वयं बीहगवान का भी जन्म होगा और वो मर्यादा की ,संस्कार की धर्म की ध्वजा लहराएंगे ।

किंतु मानव अपने श्वार्थ के लिए उनके बनाए हुए नियम को तोड़कर अपना खुद का नियम बनाना चाहता है इसीलिए भगवान श्री कृष्ण जी ने भगवतगीता में कहा है:
 
की हे मानव तू कितना भी छुपके अधर्म करेगा किंतु उस ब्रम्हांड रचैता की नजर से तू कभी नही बचेगा ।

इसलिए अगर इस कलयुग में आपको अपना उद्धार करना है तो उस  ईश्वर के चरणों में ध्यान लगाओ।

क्योंकि तुम इस संसार में खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाओगे 
भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा है कि: हे मानव कल जो किसी और का था वो आज तुम्हारा है कल किसी और का होगा तुम खाली हाथ आए हो और खाली हाथ जाओगे
🙏🙏🙏🕉️🕉️🕉️🛕🛕🛕🙏🙏🙏

इस संसार से तुम केवल पुण्य ही एक ऐसी वस्तु है जो लेकर तुम जाओगे ।
सो हे मानव तुम पुण्य करते जाओ उस प्रभु का नाम जपते जाओ।

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।

#श्री_कृष्णा
#🕉️_आजपुरातन
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#आजपुरातन

गुरुवार, 22 जुलाई 2021

अन्याय की विजय और न्याय की पराजय

 अन्याय प्रबल ,न्याय दुर्बल क्यों ?

आज कलयुग का जमाना है जहां न्याय नहीं अन्याय की विजय होती है, जब कलयुग का जन्म हुआ था तभी ऋषि मुनियों ने यह भविष्यवाणी कर दी थी कि कलयुग एक ऐसा युग होगा जहां न्याय अकेला और दुर्बल होगा ।

ऐसा क्यों ?
जब उनके शिष्यों ने पूछा कि आखिर ऐसा क्यों होगा कि न्याय की पराजय होगी, तब उन्होंने कहा था कि मानव को न्यायवोर धर्म पर विश्वास नहीं होगा इसलिए भगवान भी न्याय करने नही आयेंगे।
परंतु राजा तो है ?
ये बात सुनकर ऋषि मुनियों के चेहरे पर हंसी आ गई उन्होंने बोला ही वत्स जब अभी भी राजा न्याय नहीं करता तो कलयुग में कौन न्याय करेगा क्योंकि,

क्योंकि क्या गुरुवर?
हे मानव तू इस कलयुग के मायाजाल को अभी नहीं जानता क्योंकि यहां धर्म की नही , यहां तो सिर्फ और सिर्फ चंद रुपयों के लिए राजा भी बिक जायेगा ।

तो कलयुग का अंत कब होगा ?
ये बात हर कोई जानना चाहता होगा कि क्या आखिर कलयुग का अंत नही होगा तो इस बात की पुष्टि स्वयं भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा है कि जब न्याय पूरी तरह से इस धरा से नष्ट हो जायेगा और कोई भी मानव न्याय के पथ पर नही होगा तब ,

तब क्या ?
तब भगवान श्री कृष्ण जी प्रकट होकर इस कलयुग का अंत करेंगे।
मतलब अन्याय का अंत नही होगा?
ये बात तो हर कोई जानता है कि न्याय का अंत एक दिन अवश्य होगा ,किंतु बता दे की न्याय का अंत निश्चित है परंतु अन्याय का अंत कभी नहीं होगा ।

अन्याय पहले भी था, आज भी है ,और कल भी रहेगा

हा सिर्फ चेहरे ही बदलते रहेंगे परन्त अन्याय वही था ,है ,और रहेगा

आप सोच रहे होंगे कि भला मैं ऐसा क्यों बोल रहा हूं कि न्याय का अंत निश्चित है।

ये बात मैं नहीं आज की न्याय व्यवस्था बता रही है कि यहां अगर तुम्हारे पास माल (रुपया/पैसा) नही है तो न्यायालय भी तुम्हारा न्याय नहीं करेगा और अन्याय को विजय दिलाएगा रुपया लेकर ।
आज कि न्याय व्यवस्था को ऐसे कैसे कह सकते है?
ये बात मैं नहीं ये बात न्यायालय के बाहर खड़े लाचार,गरीब,बेचारे भूखे प्यासे वो लोग कह रहे हैं जो न्याय की आश में पूरा दिन गुजार देते हैं

उनसे पूछो कि उनसे खाता क्या हुई क्यों न्याय नहीं मिला उनको साथियों ,
क्योंकि गरीबी ने उनको लाचार कर दिया घूंश कैसे खिलाए जरा साथियों।
उनसे पूछो कि उनसे भूल क्या हुई क्यों उनको ही मारा जरा साथियों,
क्योंकि न्याय की आश लगाए हुए अन्याय से भिड़ गए हैं साथियों ।
जब भी पूछो तुम उनसे ख्याल साथियों बोलते हैं बस अपना गुजर साथियों,
न लोभ है उनको जरा साथियों फिर भी न्याय नहीं मिला उनको साथियों।।।

#श्री_कृष्ण_गोविंद_हरे_मुरारी_हे_नाथ_नारायण_वासुदेवा
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

जय श्री कृष्ण
#श्री_कृष्णा
#आजपुरातन
#वीरेंद्र_द्विवेदी

रविवार, 18 जुलाई 2021

संस्कार क्या है और यह क्यों जरुरी है ?

संस्कार क्या है??

संस्कार वह विधि जिससे आने वाले समय के परिवेश को न देखकर अपने पूर्वजों, गुरुओं, माता, पिता, एवम समस्त पूज्यनीय का सम्मान किया जाए एवम सरल व आदर के लिए पहचाना जाए उसको संस्कार कहा गया है । 

वास्तव में वह मानव जो अपने ग्रंथो , अपनी भाषा , अपनी संस्कृति ,अपने रीति रिवाज को न भूलें उसे ही संस्कारी कहा गया है ।


संस्कार जीवन में क्यों जरूर है?

जहां तक संभव हो सके तो आपको अपने रीति रिवाज को कभी नहीं भूलना चाहिए क्योंकि इससे आपके आने वाली पीढ़ी को संस्कारवान  बनाने की जिम्मेदारी आपको सौंपी गई है ।

अतः आपको अपने पूर्वजों द्वारा संचालित किया गया संस्कार ही आपको अपने आने वाली पीढ़ी को सौंपना है ।

अगर आप संस्कारवान होगे तभी आपकी समाज में कोई कदर(इज्जत) करेगा  नही तो आपकी भी कोई इज्जत नहीं करेगा ।

कहा गया है : सम्मान दोगे तो  सम्मान पाओगे 
                   जो जैसा करेगा वैसा पायेगा

संस्कार के मायने 

संस्कार जीवन को लेकर बहुत कुछ बता जाता है वो कहता है कि आज तू जैसा अपने पूर्वजों के साथ करेगा वैसा तेरे साथ भी कल होने वाला है ।
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि हे मानव तू जैसा आज कर रहा है वैसा कल तू भी भोगेगा ।
इसलिए तू सब का सम्मान कर तो आने वाले समय में तुझे भी सम्मान मिलेगा ।

#आज_पुरातन

#श्री_कृष्णा

#वीरेंद्र_द्विवेदी

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा ।        श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा ।।

हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे ।                           हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।




सोमवार, 12 जुलाई 2021

सरल और कठोर

 सरल क्या है ??

सरल शब्द सुनने में तो बहुत ही आसान लगता है किंतु सरल
शब्द है एक दिन कठिन लगने लगता है।


या ये कह दे कि सरल है आगे चलकर कठिन का रूप धारण कर लेता है ।
सरल वह है जो जानने पहचानने देखने सुनने सुनाने और महसूस काने में सबको समझ में आ जाए चाहे वो अनपढ़ हो या फिर पढ़ा लिखा व्यक्ति हो उसी को हम सरल कह सकते हैं।

किन्तु सरल होना इस कलयुग का अभिशाप है क्योंकि जो जितना सरल होता है उतना ही पीसा जाता है।
अतः जीवन में सरल बने तो वो है मर्यादा।
कठोर क्या है ??
मानव को नारियल के जैसा बाहर से कठोर होना चाहिए , किंतु अंदर से बिल्क़ुल कोमल, नरम होना चाहिए ।
भागवत गीता में श्री कृष्ण जी ने कहा है कि हे मानव अगर तू बाहर से कठोर नहीं होगा तो तू इस कलयुग के मायाजाल में फंस जाएगा । इसलिए तुझे बाहर से कठोर होना पड़ेगा तभी तू इस कलयुग में रह सकता है ।

अतः मानव जीवन में सरल और कठोर का मतलब एक ही है।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वाशुदेवा ।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वाशुदेवा ।।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

@आज_पुरातन
@विरेन्द्र_द्विवेदी

रविवार, 11 जुलाई 2021

भला और बुरा

 भलाई क्या है??

भलाई शब्द को सुनकर सब यही कहेंगे कि अरे यह तो सरल है इसको तो हर कोई जानता है किंतु वाश्तव में ये कोई नहीं जनता की भलाई क्या है?

भलाई वह शब्द है जो खुद के वाणी से न निकलकर किसी दूसरे ही मानव के मुख से निकले और उसमें परोपकार की भावना बिना किसी लोभ के की जाए और जिससे दूसरों के भला हो तथा आने वाले समय में वो एक सबके लिए मार्ग बने उसे ही वाश्तव में भलाई कहा जाता है 


भलाई बिना किसी निजी स्वार्थ के किया जाता है ।

अब बात आती है हमें भलाई किन स्थितियों में करना चाहिए ?

कहते हैं कि भलाई भी स्थिती देखने के बाद ही करो ।कहीं यैसा नहीं कि आप खुद किसी सुनसान जगह फन्से है (जंगल ) आदि में और कोई चोर आपसे सहायता के बहाने आपको लूटना चाहता हो


उस स्थिती में आपको भलाई नहीं देखनी चाहिए ।

बुराई क्या है??

बुरा यह शब्द सुनकर लोग कहेंगे कि यह क्या बोल दिया ।

किंतु आपको नहीं पता बुरा होना भी एक तरह से अच्छा होता है ।आपको अगर जिन्दगी में आगे बढ़ना है तो मुंह में बुरा कहने वाला भी रखना पड़ेगा क्योंकि उसीसे  तुम्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। कबीर जी  ने कहा है:-

 निंदक राखिये आँगन कुटी छवाय, 

बिन पानी साबुन बिना निर्मल कारै सुभाय ।

बुराई वो शब्द नहीं कि किसी दूसरे से बुराई करना ।

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मानव को कितना भला और कितना बुरा होना चाहिए 

#विरेन्द्र_द्विवेदी

#आज_पुरातन

श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वाशुदेवा

श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वाशुदेवा

हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।





शुक्रवार, 9 जुलाई 2021

धर्म और अधर्म क्या है ??

 धर्म और अधर्म क्या है?


धर्म की परिभाषा:-

धर्म क्या है ये तो हर कोई जानता है पर वाश्तव में धर्म की परिभाशा 

कोई नहीं जनता है


धर्म किसे कहते हैं ये किसी ने सोचा है क्या? नहीं हम मानव सिर्फ किस 

बात को धर्म कहते हैं ,दान करना ,किसी को भोजन करना यज्ञ कराना 

गंगा स्नान करना पूजा पाथ करना ।


पर मानव ये नहीं जनता कि इन सब बातों को धर्म नहीं कहते धर्म की कोई

पहचान नहीं होती किंतु धर्म बहुत कुछ दिखाता है


आप सोचते होंगे कि मैं ऐसा क्यूँ कह रहा हो की पूजा करने, गंगा स्नान करना

यज्ञ करना धर्म नहीं है ।


क्योंकि पूजा तो रावण भी करता था ,दानवीर तो कर्ण भी था यज्ञ तो बली 

ने भी किया तो क्या वे धर्म के पथ पर चल रहे थे।




भगवान श्री कृष्णा ने कहा है कि अगर आप किसी का भी ह्रदय दुःखी करते

हो तो आप धर्म नहीं अधर्म की मार्ग की ओर हो

किसी को लूट गलत तरीके से आप धन इकठ्ठा करके अगर दान करते हो

तो वो धर्म नहीं है ।

किसी को दुःखी करके अगर आप गंगा स्नान करते है तो आप का स्नान करने  धर्म नहीं है और न ही आपका पाप धुलता है।


धर्म वो है जब आपसे कोई दुःखी न हो ,आप से सब प्रेम करें,आप सत्य के

मार्ग पर चलें किसी को भी पीड़ा न पहुँचाए जिससे की वो आपको हाय दे

जहाँ तक हो आपसे आप सबको खुश रखे और खुद के ह्रदय को भी  खुश 

रखेंगे तभी आप धर्मात्मा कहलाओगे 


भगवान श्री कृष्णा ने बहुत ही सुंदर बात कहीं है कि हे मानव तू सब को 

खुश रखने के प्रयास में खुद को दुःखी मत कर वरना तेरा ह्रदय तुझे कभी

क्षमा नहीं करेगा और तू धर्मात्मा नहीं कहलायेगा


अधर्म क्या है?

अधर्म नाम सुनकर ही सब को पता चल जाता है कि क्या है?

किंतु मानव जानते हुए भी इसे अन्देखा कर देता है क्योंकि उसे लगता है 

कि कोई नहीं जनता।

भगवान   श्री कृष्णा ने कहा है कि धर्म की रक्षा न करना ,धर्म का साथ न देना ही अधर्म अन्याय और अत्यचार है ।



भगवान श्री कृष्णा ने कहा है कि यदि धर्म की रक्षा के लिए आपको अशत्य

का सहारा लेना पड़े तो लो क्योंकि वो मिथ्या झूंठ अशत्य  धर्म के लिए है


इसलिए धर्म की रक्षा के लिये झूंठ भी बोलो 

अतः संसार में धर्म से बड़ा कोई नहीं हैं

धर्मो रक्षति रक्षिता: 

अर्थात तुम धर्म की रक्षा करो ।

धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा ।।



श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वाशुदेवा

श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वाशुदेवा

हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।




 

बुधवार, 7 जुलाई 2021

अन्याय और न्याय

अन्याय और न्याय क्या है ?




ये बात तो हर कोई जानता है कि न्याय क्या है और अन्याय
जब न्याय की बात आती है तो लोग पीछे कदम हटा लेते है 
और अन्याय ,अधर्म,झूठ,और पाप का साथ देने लगते हैं परंतु
भागवत गीता में श्री कृष्णा ने कहा है कि जब जब पाप अधर्म 
होगा तब तब मैं आऊँगा और पाप का अंत करूँगा !

आखिर अन्याय कब तक होगा?

श्री कृष्णा ने कहा है कि अन्याय बहुत शोर के साथ होता है
और न्याय चुप चाप होता है किंतु एक दिन न्याय जरूर होता है!

आज कलयुग में न्याय तो होता ही नहीं?

आज कलयुग में न्याय तो होता है नहीं ये बात आप हर सज्जन के मुखारबिंदु से सुनोगे !
परंतु श्री कृष्णा ने भागवत गीता में यह स्पष्ट शब्दों में कहा है 
कि हे मानव तू न्याय के पथ पर चल एक दिन जरूर तुझे न्याय मिलेगा क्योंकि अन्याय कितना भी प्रयत्न कर ले अंत में उसकी पराजय निश्चित है ।

पर कब मिलेगा न्याय?
ये बात हर कोई जानता है कि एक दिन न्याय की विजय सुनिश्चित है फिर भी वो पैसों के बल पर हर किसी पर अन्याय करता है और बड़े ही सुख के साथ जीवन जीता है परंतु इस 
कलयुग में न्याय के मार्ग पर चलने वाला हमेशा दुःख ,पीड़ा भोगता है और अंत में इस संसार से बिना न्याय पाये ही वह चला जाता है
तो न्याय किसको मिला?

ये बात हर कोई पुन्छता  है कि जब उस इंसान को न्याय नहीं मिला तो फिर किसे इस कलयुग में न्याय मिलेगा जब वो जीवित था तब उसको न्याय नहीं मिला तो आखिर हम क्यूँ न्याय के पथ पर चलें क्या यही है न्याय के पथ पर चलने की सजा दुःख ,पीड़ा ,गरीबी , लचारी 
आखिर क्यों नहीं जन्म लेते हो प्रभु ?
अब तो हर न्याय के पथ पर चलने वाला मानव भागवन से एक ही बात पुन्छता है कि अब और कितना दुःख,पीड़ा झेलनी पड़ेगी न्याय के मार्ग पर चलने वालोंं की हे प्रभु अब 
तो प्रकट हो जाओ आप ,अब तो न्याय करो पापिओ को पराजय करो 
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वाशुदेवा


शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

कविता क्या है ? इसके क्या मतलब होते हैं ? हमारे जीवन में कविता का क्या महत्व है ?

  अगर नहीं तो कोई बात नहीं क्योंकि

मैं आज आपको बताऊंगा की कविता होती क्याहै

और इसे मनुष्य के जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है।


   कविता क्या है?

कविता एक तरह से मनुष्य के जीवन की हर एक 

संगीत ,गीत ,प्रेम ,स्नेह  से जुड़ने के बात जो रस 

भरी उमङ्ग के साथ जो वाणी के माध्यम से भाव 

बिभोर होकर मधुर संगीत निकलता है उसे ही 

वास्तव में कविता का नाम दिया गया है।।

परंतु कविता को और भी कई सारे नामो से भी 

जाना जाता है।

जैसे कि - संगीत ,प्रेम , स्नेह , प्यार ,


कविता के जन्म कैसे होता है?

जब कोई  इस तरह की घटना जिसे देखकर हृदय से बिना 

संगीत गए न रुका जाये, बहते हुए नदी तालाब झरने के पानी को

देखकर मन न रुके और संगीत के वाणी प्रकट हो जाए वहीं पर 

कविता का जन्म (उदय) होता है।

कविता के हमारे जीवन में क्या महत्व है ?

जैसे हर एक प्राणी के लिए जल वायु भोजन और ऊर्जा की जरुरत होती है वैसे ही हमारे जीवन में संगीत, प्रेम  इत्यादि का होना भी जरुरी है ।और अगर हमारे जीवन में ख़ुशी और ऊर्जा का प्रवाह होगा तो स्नेह जरूर प्रकट होगा और उससे  प्रकट होने वाले संगीत को ही कविता कहेंगे ।

इसलिए हर मनुष्य के जीवन में खुशी के लिए कविता का होना बहुत जरुरी है

कहते हैं कि कविता समय या फिर स्थिती देखकर नहीं आती

वह तो कभी भी अगर मन को प्रफुल्लित कर देने वाला दृश्य है 

तो वहीं पर कविता का निर्माण हो जाता है 





संस्कृति श्लोक

 १-  त्वमेव माता च पिता त्वमेव,   त्वमेव बन्धुश्च शखा त्वमेव।   त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव,    त्वमेव सर्वम् मम देव देवाः।। २- गुरुः ब्रम...