सरल क्या है ??
सरल शब्द सुनने में तो बहुत ही आसान लगता है किंतु सरल
शब्द है एक दिन कठिन लगने लगता है।
या ये कह दे कि सरल है आगे चलकर कठिन का रूप धारण कर लेता है ।
सरल वह है जो जानने पहचानने देखने सुनने सुनाने और महसूस काने में सबको समझ में आ जाए चाहे वो अनपढ़ हो या फिर पढ़ा लिखा व्यक्ति हो उसी को हम सरल कह सकते हैं।
किन्तु सरल होना इस कलयुग का अभिशाप है क्योंकि जो जितना सरल होता है उतना ही पीसा जाता है।
अतः जीवन में सरल बने तो वो है मर्यादा।
कठोर क्या है ??
मानव को नारियल के जैसा बाहर से कठोर होना चाहिए , किंतु अंदर से बिल्क़ुल कोमल, नरम होना चाहिए ।
भागवत गीता में श्री कृष्ण जी ने कहा है कि हे मानव अगर तू बाहर से कठोर नहीं होगा तो तू इस कलयुग के मायाजाल में फंस जाएगा । इसलिए तुझे बाहर से कठोर होना पड़ेगा तभी तू इस कलयुग में रह सकता है ।
अतः मानव जीवन में सरल और कठोर का मतलब एक ही है।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वाशुदेवा ।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वाशुदेवा ।।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
@आज_पुरातन
@विरेन्द्र_द्विवेदी
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