संसार के नियम :
इस संसार के जो नियम हैं उसे शायद ही कोई अपना पाएगा क्योंकि इस संसार में न तो नियम का कोई पालन करता है और न ही उसे अपने जीवन में लाता है।
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इस संसार की मया मोह में मानव पड़कर उस ईश्वर को ही भूल गया जिसने उसे इस धरा पर लाया (माता पिता)
तो मानव उस भगवान को कैसे याद रखेगा जिसे उसने देखा ही नहीं है।
इसमें उसकी कोई भी भूल नजर नहीं आती ये तो सब कलयुग का प्रकोप है की मानव अपने परम पवित्र निःश्वार्थ निश्छल प्रेम से सराबोर माता पिता को भूल जाता है।
जब ब्रम्हांड की रचना हुई थी तब भगवान श्री शिवजी ने कहा था कि इस मृत्युलोक में स्वयं बीहगवान का भी जन्म होगा और वो मर्यादा की ,संस्कार की धर्म की ध्वजा लहराएंगे ।
किंतु मानव अपने श्वार्थ के लिए उनके बनाए हुए नियम को तोड़कर अपना खुद का नियम बनाना चाहता है इसीलिए भगवान श्री कृष्ण जी ने भगवतगीता में कहा है:
की हे मानव तू कितना भी छुपके अधर्म करेगा किंतु उस ब्रम्हांड रचैता की नजर से तू कभी नही बचेगा ।
इसलिए अगर इस कलयुग में आपको अपना उद्धार करना है तो उस ईश्वर के चरणों में ध्यान लगाओ।
क्योंकि तुम इस संसार में खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाओगे
भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा है कि: हे मानव कल जो किसी और का था वो आज तुम्हारा है कल किसी और का होगा तुम खाली हाथ आए हो और खाली हाथ जाओगे ।
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इस संसार से तुम केवल पुण्य ही एक ऐसी वस्तु है जो लेकर तुम जाओगे ।
सो हे मानव तुम पुण्य करते जाओ उस प्रभु का नाम जपते जाओ।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
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हरेकृष्ण 🙏
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